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नई दिल्ली: दिल्ली में हवा जहरीली हो गई है। जहरीली राजनीति के लिए इससे माकूल माहौल और क्या हो सकता है? आरोप-प्रत्यारोप के दौर में केंद्र सरकार की रिपोर्ट की भी चर्चा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने सड़क की धूल, गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण और कूड़े के प्रबंधन के लिए अपने लक्ष्य हासिल नहीं किए हैं। रिपोर्ट 23 सितंबर को जारी हुई थी, ठीक उस समय जब दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का मौसम शुरू होने वाला होता है। सरकार का कहना है कि पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन दिल्ली अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है।
सड़कें साफ करने की मशीनें बहुत कम
रिपोर्ट में क्या है? सबसे पहले सड़क की धूल। दिल्ली में 8,002 किलोमीटर सड़कों की रोज़ाना सफाई होनी चाहिए, लेकिन सिर्फ 2,795 किलोमीटर की ही सफाई हो रही है। क्यों? क्योंकि दिल्ली के पास 85 मशीनें ही हैं सड़क साफ करने के लिए, जबकि जरूरत 200 से भी ज्यादा की है। 2024 तक 206 मशीनें खरीदने का लक्ष्य था, लेकिन हुआ कुछ नहीं। दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश ने 45 में से 42 मशीनें तैनात कर दी हैं, हरियाणा ने 76 में से 71 और राजस्थान ने लक्ष्य की सभी 8 मशीनें लगा दी हैं। दिल्ली के पास पानी के छिड़काव के लिए 267 गाड़ियां हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के पास 230 हैं।सड़क किनारे हरियाली की व्यवस्था भी पूरी नहीं
सड़कों के किनारे हरियाली और पक्की सड़कें भी धूल कम करने में मदद करती हैं। लेकिन दिल्ली में 31 जुलाई, 2024 तक 199 किलोमीटर सड़कों के किनारे हरियाली नहीं थी, 278 किलोमीटर सड़कें कच्ची थीं और 199 किलोमीटर सड़कों के डिवाइडर पर हरियाली नहीं थी। रिपोर्ट कहती है कि जनवरी से जून 2024 के बीच दिल्ली में सिर्फ़ 0.4 किलोमीटर सड़कों के डिवाइडर पर हरियाली लगाई गई। 2023-24 और 2024-25 में दिल्ली में पेड़ लगाने का काम भी उम्मीद से बहुत कम हुआ है।सड़क की धूल वायु प्रदूषण की बड़ी वजह
केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली सरकार की लापरवाही का खामियाजा सर्दियों में भुगतना पड़ता है, जब प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। अगर समय रहते सड़क साफ करने वाली मशीनें नहीं लगाई गईं, सड़कों को पक्का नहीं किया गया और हरियाली नहीं लगाई गई, तो सर्दियों में हवा जहरीली हो जाएगी। रिसर्च बताती है कि दिल्ली और एनसीआर में PM10 प्रदूषण का 40% और PM2.5 प्रदूषण का 20% सड़क की धूल से होता है।वाहन प्रदूषण और कूड़े को जलाने से बिगड़ती है हवा
दूसरी बड़ी समस्या है गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण और कूड़े का जलना। रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली को 2024 तक 2,350 इलेक्ट्रिक बसें खरीदनी थीं, लेकिन अभी तक एक भी बस नहीं खरीदी गई है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए चार्जिंग स्टेशन भी नाकाफी हैं। 4,793 चार्जिंग स्टेशन बनाने का लक्ष्य था, लेकिन अभी तक सिर्फ़ 3,100 ही बने हैं। दिल्ली में 30 जून तक 59.28 लाख पुरानी गाड़ियां चल रही थीं, लेकिन 2023 में सिर्फ़ 22,397 गाड़ियों को ज़ब्त किया गया और 2024 के पहले छह महीनों में सिर्फ 308 गाड़ियों को।सामधान की जगह खींचतान!
केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच कूड़े के निपटारे को लेकर भी तनातनी चल रही है। दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के गठन में देरी के कारण कूड़े के प्रबंधन की कई बड़ी परियोजनाएं दो साल से अटकी हुई हैं। 1 अगस्त 2024 को भलस्वा, गाजीपुर और ओखला में लगभग 160.43 लाख मीट्रिक टन कूड़ा जमा था। दिल्ली में हर दिन 11,342 टन कूड़ा निकलता है, लेकिन उसमें से सिर्फ़ 8,410 टन कूड़े का ही निपटारा हो पाता है। बाकी का कूड़ा भलस्वा और गाजीपुर में फेंक दिया जाता है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो 2027 तक कूड़े के निपटारे की क्षमता बढ़ जाएगी।
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